मुहाँसे
(एकने,पिम्पल)
= मुँहासे किशेरावसथा से शुरू होते है। उम्र के साथ यह समस्या कम हो सकती है।
=तैलिय त्त्वचा मे मुँहासो की समस्या ज्यादा होतीहै।
: अत एव त्त्वचा को आँयल फ्री रखें इस हेतु–
^ चेहरे पर आँयली क्रीम ना लगाए।
^ धूप से बचाव के लिए चीपचीपे सनस्क्रीन लगाने के बजाए सक्राफ्, गागल्स, केप इस्तेमाल करें।
^बहुत रूखा लगने पर वाटर बेसड माइशचराइजींग लोशन लगाए।
^चेहरा आँयली लगे तो फेशवाँश से चेहरा धोए।
^काँस्मेटिक का इस्तेमाल न करें।
*मुहाँसे को अंगुली और नाखून से छेडछाड न करें, अन्यथा दाग, धब्बे और गडडे पढने की संभावना रहतीहै।
*खाने मे आँयली खाना कम लें।
*मुहाँसों पर बेन्डेज या टाइट कपडा न लगाए।
*टीवी और समाचारपत्र में गोरेपन, दाग धब्बे और स्कार मीटाने वाले क्रीम का विज्ञापन देखकर उसे इस्तेमाल न करें, उसमें स्टीराँयड होने की संभावना होती है जो लगाने तक मुहाँसो को दबा देगा, पर छोडने पर मुहाँसे की समस्या विकराल हो जाएगी। चेहरा लाल, काला, सन्सिटीव हो जाएगा एंव उसमें अनचाहे बाल आ जाएगें।
*आधुनिक चिकित्सा प्रणाली जैसे- केमीकल पीलींग, पाँलीशींग और लेसर विधि से मुहाँसे के गडडे और दाग धब्बों का इलाज संभव है।मुहाँसो की समस्या को इलाज से कंटो्ल में रख सकते है एंव दवा का कोर्स पूरा करने से ये पूरी तरह खत्म हो सकते है।
कई बार 22-25 साल की उम्र के बाद भी चेहरे पर मुहाँसे होतेहैं जिनका मुख्य कारण कुछ लंबी समय तक लेने वाली दवाईयाँ या हरमोनल असंतुलन हो सकता है। डाँकटर को पूरी जानकारी दें व ईलाज करायें।
डाँ. भरतसिंघानिया, एम.डी.
डाँ. सारिकासिंघानिया,एम.डी.