मोदी और शाह की रणनीति से घबराए Naxali, नक्सलियों ने अपने कैडर को दी सतर्क रहने की सलाह

आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व नक्सलवाद का समूल सफाया करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति का नक्सल संगठन पर व्यापक असर पड़ा है. नक्सली केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त कार्रवाई से घबराए हुए हैं और अपने अस्तित्व को बचाने की रणनीति बना रहे हैं.

इस माह के अंत में आयोजित शहीदी सप्ताह के लिए नक्सलियों ने एक बुकलेट जारी की है, जिसमें हरियाणा के सूरजकुंड में अक्टूबर 2022 में नक्सल समस्या पर आयोजित बैठक का जिक्र करते हुए नक्सल कैडरों को सतर्क रहने कहा गया है.

सूरजकुंड में हुए बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही नक्सल प्रभावित सभी राज्यों के गृह मंत्री शामिल थे. बैठक में तय किया गया है कि सभी राज्य मिलकर नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए संयुक्त आपरेशन चलाएंगे तथा 2024 के चुनाव के पूर्व उनका संपूर्ण खात्मा करेंगे.

वहीं बुकलेट में नक्सलियों ने सेंट्रल कमेटी, रीजनल कमांड, जोनल और डिवीजनल कमेटी सदस्यों के लिए गाइडलाइन जारी की है. जिसमें फोर्स को जबरन उद्वेलित न करने की हिदायत दी गई है. नक्सल कैंप की जानकारी को गुप्त रखने व फोर्स के गुप्त आपरेशन से भी सतर्क रहने को कहा है.

नक्सलियों के बुकलेट में उल्लेखित तथ्यों से स्पष्ट है कि वे सुरक्षा कैंपों की स्थापना और मजबूत सूचना तंत्र से डरे हुए हैं. इसमें लिखा गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों ने ‘सूरजकुंड’ रणनीतिक योजना बनाई है, जिसमें दंडकारण्य के माड़ और झारखंड के सारंडा क्षेत्र को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. सुरक्षा बल अब पहले से ताकतवर हैं. मुखबीर, गुप्त सूचना तंत्र को मजबूत किया है. इसलिए अब हमले सूचना आधारित होंगे.

नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र में व्यापक पुलिस बैस कैंपों की स्थापना अब गंभीर समस्या बनकर उभरी है. तकनीकी सूचना तंत्र के प्रयोग से सप्लाई मार्गों पर भी घुसपैठ हो चुकी है. शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचने सुरक्षा बल ट्रैकरों का इस्तेमाल कर रही है, इसलिए कोई भी सूचना बाहर न जाए इसे सुनिश्चित करने कहा गया है.

नक्सलियों ने स्वीकारा है कि सुरक्षा बल के साथ मुठभेड़ में पिछले वर्ष उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. देश भर में 97 नक्सली मारे गए हैं. सबसे अधिक नुकसान दंडकारण्य क्षेत्र में हुआ है, जहां 58 नक्सली मारे गए हैं. केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो सदस्य आनंद उर्फ करटम सुदर्शन, तीन केंद्रीय कमेटी सदस्य आंध्रप्रदेश में एलएसएन मूर्ति, बिहार-झारखंड में गौतम पाश्वान, पश्चिम बंगाल में चंडी सरकार की मौत पिछले वर्ष हुई है. दंडकारण्य में डीवीसी स्तर के शंकर राव, वसंत, दर्शन, गणेश, अनिता सहित अन्य नक्सली मारे गए हैं.

बस्तर रेंज के IG पी. सुंदरराज ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान से नक्सली बैकफुट पर हैं. नक्सल कैडरों के गिरते मनोबल को बनाए रखने नक्सली इस तरह के बुकलेट जारी करते रहते हैं. नक्सलियों के विरुद्ध अभियान और भी तेज होंगे. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के सुरक्षा और पुनर्वास की योजना पर भी काम कर रहे हैं.

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